Friday, August 03, 2012

चलो फिर से मुस्कुराएँ


Engraved by Neha
चलो फिर से मुस्कुराएँ 
चलो फिर से दिल जलाएं 

जो गुज़र गयी हैं रातें 
उन्हें फिर जगा के लायें 
जो बिसर गयीं हैं बातें 
उन्हें याद से बुलाएं 
चलो फिर से दिल जलाएं 
चलो फिर से मुस्कुराएँ 

किसी शह-नशी पे झलकी 
वो धनक किसी कबा की 
किसी रग की कसमसाई 
वो कसक किसी अदा की 
कोई हर्फे-बे-मुरब्बत 
किसी कुंजे-लब से फूटा 
वो झनक के शीशा-ए-दिल 
तहे-बाम फिर से टूटा 

ये मिलन की, नामिलन की 
ये लगन की और जलन की 
जो सही हैं वारदातें 
जो गुज़र गयी हैं रातें 

जो बिसर गई हैं बातें 
कोई उनकी धुन बनाएं 
कोई इनका गीत गाएँ
चलो फिर से मुस्कुराएँ 
चलो फिर से दिल जलाएं 

फैज़  अहमद  फैज़  

Word Key - शह-नशी : a higher place to sit, कबा : vest, हर्फे-बे-मुरब्बत : heartless, तहे-बाम : under the high tower 

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