Wednesday, November 05, 2008

Zindagi

Thandee ratoo ke thandey ehsason kee chup chup raat ke baad,
Subah kee gunguni dhoop, pankhdiyo par giri chamaktee os hai zindagi,
Bikhartey bichadtey rishto kee sameekaran see hai zindagee,
Yoon chamaktey maasom bacchey kee muskan see hai zindagee,
Kuch bhee kahee bhee nahee, phir bhee vasudhaiv kutumbkam hai zindagi.

Tuesday, November 04, 2008

Jo beet gayi so baat gayi

Past by Ma Vera (see image information below)

जीवन में एक सितारा था
माना वह बेहद प्यारा था
वह डूब गया तो डूब गया
अंबर के आंगन को देखो
कितने इसके तारे टूटे
कितने इसके प्यारे छूटे
जो छूट गए फ़िर कहाँ मिले
पर बोलो टूटे तारों पर
कब अंबर शोक मनाता है
जो बीत गई सो बात गई

जीवन में वह था एक कुसुम
थे उस पर नित्य निछावर तुम
वह सूख गया तो सूख गया
मधुबन की छाती को देखो
सूखी कितनी इसकी कलियाँ
मुरझाईं कितनी वल्लरियाँ
जो मुरझाईं फ़िर कहाँ खिलीं
पर बोलो सूखे फूलों पर
कब मधुबन शोर मचाता है
जो बीत गई सो बात गई

जीवन में मधु का प्याला था
तुमने तन मन दे डाला था
वह टूट गया तो टूट गया
मदिरालय का आंगन देखो
कितने प्याले हिल जाते हैं
गिर मिट्टी में मिल जाते हैं
जो गिरते हैं कब उठते हैं
पर बोलो टूटे प्यालों पर
कब मदिरालय पछताता है
जो बीत गई सो बात गई

मृदु मिट्टी के बने हुए हैं
मधु घट फूटा ही करते हैं
लघु जीवन ले कर आए हैं
प्याले टूटा ही करते हैं
फ़िर भी मदिरालय के अन्दर
मधु के घट हैं,मधु प्याले हैं
जो मादकता के मारे हैं
वे मधु लूटा ही करते हैं
वह कच्चा पीने वाला है
जिसकी ममता घट प्यालों पर
जो सच्चे मधु से जला हुआ
कब रोता है चिल्लाता है
जो बीत गई सो बात गई

- Harivansh Rai Bacchan

Image Information: This image is from http://www.flickr.com/photos/ma_vera/2913934919/

Koshish karney walon kee...

Never give up by jferrer
( See image information below)

लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, One doesn't cross the stream by being scared of the current
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।Those who try never loose

नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है, When a tiny ant carries little grains
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है।She tries climbing on the walls, and fall hundred times
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,Determination of mind gives courage to the body
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।And then, walking and stumbling, stumbling and walking doesn't hurt
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,Ultimately her hardwork is not wasted
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।Those who try never lose

डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है, A swimmer takes a dip in the ocean
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है।Again and again he comes back empty handed
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में, It is not easy to find pearls in deep water
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में।But in this struggle his determination doubles
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती, His hand is not empty every time
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।Those who try never lose

असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो, Failure is a challenge, accept it
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो। Think what was lacking and improvise
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,Until you are successful, give up comfort and pleasures
संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम।Don't run from the playground of struggle
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,One is not praised without doing anything
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।Those who try never lose

- Harivansh Rai Bacchan

Resources: Listen to a beautiful recital of this inspiring poem at http://www.youtube.com/watch?v=2eOMxLMvCpY

Image Information: This image is from http://www.flickr.com/photos/jferrer/374456844/

बढ़े चलो

वीर तुम बढ़े चलो
धीर तुम बढ़े चलो
साथ में ध्वजा रहे
बाल दल सजा रहे
ध्वज कभी झुके नहीं
दल कभी रुके नहीं।
सामने पहाड़ हो
सिंह की दहाड़ हो
तुम निडर,हटो नहीं
तुम निडर,डटो नहीं
वीर तुम बढ़े चलो
धीर तुम बढ़े चलो
प्रात हो कि रात हो
संग हो न साथ हो
सूर्य से बढ़े चलो
चन्द्र से बढ़े चलो
वीर तुम बढ़े चलो
धीर तुम बढ़े चलो

-द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी
(1916 - -1998)

Saturday, November 01, 2008

Sitaron se ulajhta ja raha hoon

Sitaron se ulajhta jaa raha hun
Shab-e-furqat bahut ghabra raha hun

Tere gam ko bhi kuch bahla raha hun
Jahaan ko bhi samjhaa raha hun

Yaqin ye hai haqeeqat khul rahi hai
Gumaan ye hai ki dhokhe khaa raha hun

Agar mumkin ho le le apni aahat
Khabar do husn ko main aa raha hun

Haden husn--o-ishq ki milakar
Qayamat par qayamat dhaa raha hun

Khabar hai tujhko ai zabt-e-mohabbat
Tere haathon mein lut ta ja raha hun

Asar bhi le raha hun teri chup ka
Tujhe kaayal bhi karta jaa raha hun

Bharam tere sitam kaa khul chuka hai
Main tujhse aaj kyon sharma raha hun

Tere pehlu mein kyon hota hai mehsus
Ki tujhse dur hota jaa raha hun

Jo uljhi thi kabhi aadam ke haathon
Vo gutthi aaj tak suljha raha hun

Mohabbat ab mohabbat ho chali hai
Tujhe kuch bhultaa-saa jaa raha hun

Ye sannata hai mere paav ki chaap
'Firaq' apni kuch aahat paa raha hun

Firaq Gorakhpuri

Love not me for comely grace..

Love not me for comely grace,
For my pleasing eye or face;
Nor for any outward part,
No, nor for my constant heart:
For those may fail or turn to ill,
So thou and I shall sever.
Keep therefore a true woman's eye,
And love me still, but know not why;
So hast thou the same reason still
To doat upon me ever.

John Wilbye

Resources : Learn more about the poet at http://en.wikipedia.org/wiki/John_Wilbye