Tuesday, January 26, 2010

मैंने मन में ठानी है

मैंने शांति नहीं जानी है !
त्रुटि कुछ है मेरे अन्दर भी ,
त्रुटि कुछ है मेरे बाहर भी ,
दोनों को त्रुटि हीन बनाने की मैंने मन में ठानी है !
मैंने शांति नहीं मानी है !

आयु बिता दी यत्नों में लग ,
उसी जगह मैं , उसी जगह जग ,
कभी - कभी सोचा करता अब , क्या मैंने की नादानी है !
मैंने शांति नहीं जानी है !

पर निराश होऊं किस कारण ,
क्या पर्याप्त नहीं आशवासन ?
दुनिया से मानी , अपने से मैंने हार नहीं मानी है !
मैंने शांति नहीं जानी है

- Harivansh Rai Bachchan

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