"That season" by Neha
नयन में निज नयन भर कर,
अधर पर सुमधुर अधर धर,
साध कर स्वर, साध कर उर,
एक दिन तुमने कहा था प्रेम-गंगा के किनारे !
"मैं तुम्हारी, तुम हमारे !"
था थकित उर-प्यार हारा
मौन था संसार सारा,
सुन रहा था सरित-जल चल, मुस्कराते चाँद-तारे !
"मैं तुम्हारी, तुम हमारे !"
अब कहीं तुम मैं कहीं हूँ,
अर्थ इसका मैं नहीं हूँ,
शेष हैं वे शब्द, क्षत उर-स्वप्न, दो नयानाश्रु खारे !
"मैं तुम्हारी, तुम हमारे !"
- गोपाल दास नीरज
I love this poem by Neeraj. It reminds me of "Tonight I Can Write the Saddest Lines" by Pablo Neruda which is also one of my favorite poems
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