Chhip chhip ashru bahaney walon
Moti vyarth lutaney walo
Kuchh sapno ke mar jaaney se
Jeevan nahi mara karta hai
Sapna kya hai, nayan sej par
Soya hua aankh ka paani
Aur tootna hai uska jyon
Jaagey kachchi neend jawani
Geeli umar bananey walo
Doobey bina nahaney walo
Kuchh paani ke bah jaaney se
Saawan nahi mara karta hai
Maala bikhar gai to kya
Khud hi hal ho gai samasya
Anshoo gar neelaam huey toh
Samjho poori hui tapasya
Roothey diwas mananey walo
Fati kameez silaaney walo
Kuchh deepon ke bujh jaaney se
Aangan nahi mara karta hai
Khota kuchh bhi nahi yahan par
Kewal jild badalti pothi
Jaise raat utaar chaandni
Pehne subah dhoop ki dhoti
Vastr badalkar aaney walo
Chaal badalkar jaaney walo
Chand khilono ke khoney se
Bachpan nahi mara karta hai
Laakhon baar gagriyan phooti
Shikan na aayi par panghat par
Laakhon baar kashtiyan doobi
Chahal pahal woi hai tat par
Tam ki umr badhaaney walo
Lau ki aayu ghataaney walo
Laakh kare patjhar koshish par
Upvan nahi mara karta hai
Loot liya maali ne upvan
Lutee na lekin gandh phool ki
Toofaano tak ne chheda par
Khidki band na hui dhool ki
Nafrat galey lagaaney walo
Sab par dhool udaaney walo
Kuchh mukhdon ki naaraazi se
Darpan nahi mara karta hai
- Neeraj
Notes: I like this recital on youtube: http://www.youtube.com/watch?v=ho6OydgoahM
Sunday, January 25, 2009
Karwaan Guzar Gaya..
स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से
लुट गये सिंगार सभी बाग़ के बबूल से
और हम खड़े खड़े, बहार देखते रहे
कारवाँ गुजर गया, गुबार देखते रहे
नींद भी खुली न थी कि हाय धूप ढल गयी
पाँव जब तलक उठें कि जिंदगी फिसल गयी
पात पात झर गये कि शाख़ शाख़ जल गयी
चाह तो निकल सकी न पर उमर निकल गयी
गीत अश्क बन गये, छंद हो दफन गये
साथ के सभी दिये धुआँ पहन पहन गये
और हम झुके, झुके, मोड़ पर रुके रुके
उम्र के चढ़ाव का उतार देखते रहे
कारवाँ गुजर गया, गुबार देखते रहे
क्या शबाब था कि फूल, फूल प्यार कर उठा
क्या श्रंगार था कि देख, आइना सिहर उठा
इस तरफ जमीन और आसमाँ उधर उठा
थाम कर जिगर उठा कि जो मिला नजर उठा
एक दिन मगर यहाँ, ऐसी कुछ हवा चली
लुट गयी कली, कली कि घुट गयी गली, गली
और हम लुटे, लुटे, वक्त से पिटे, पिटे
साँस की शराब का खुमार देखते रहे
कारवाँ गुजर गया, गुबार देखते रहे
हाथ थे मिले कि जुल्फ चाँद की संवार दूँ
होठ थे मिले कि हर बहार को पुकार दूँ
दर्द था दिया गया कि हर दुखी को प्यार दूँ
और साँस ताकि स्वर्ग भूमि पर उतार दूँ
हो सका न कुछ मगर, शाम बन गयी सहर
वह उठी लहर कि ढह गए किले बिखर बिखर
और हम डरे डरे, नीर नयन में भरे
ओढ कर कफ़न पड़े, मजार देखते रहे
कारवाँ गुजर गया, गुबार देखते रहे
माँग भर चली कि एक, इक नई नई किरण
ढोलकें धुमुक उठीं, ठुमुक उठे चरण चरण
गाँव सब उमड़ पड़ा, बहक उठे नयन नयन
शोर मच गया कि लो चली दुल्हन, चली दुल्हन
पर तभी जहर भरी, गाज एक वह गिरी
पुँछ गया सिंदूर तार तार हुई चूनरी
और हम अजान से, दूर के मकान से
पालकी लिये हुए कहार देखते रहे
कारवाँ गुजर गया, गुबार देखते रहे
- Neeraj
लुट गये सिंगार सभी बाग़ के बबूल से
और हम खड़े खड़े, बहार देखते रहे
कारवाँ गुजर गया, गुबार देखते रहे
नींद भी खुली न थी कि हाय धूप ढल गयी
पाँव जब तलक उठें कि जिंदगी फिसल गयी
पात पात झर गये कि शाख़ शाख़ जल गयी
चाह तो निकल सकी न पर उमर निकल गयी
गीत अश्क बन गये, छंद हो दफन गये
साथ के सभी दिये धुआँ पहन पहन गये
और हम झुके, झुके, मोड़ पर रुके रुके
उम्र के चढ़ाव का उतार देखते रहे
कारवाँ गुजर गया, गुबार देखते रहे
क्या शबाब था कि फूल, फूल प्यार कर उठा
क्या श्रंगार था कि देख, आइना सिहर उठा
इस तरफ जमीन और आसमाँ उधर उठा
थाम कर जिगर उठा कि जो मिला नजर उठा
एक दिन मगर यहाँ, ऐसी कुछ हवा चली
लुट गयी कली, कली कि घुट गयी गली, गली
और हम लुटे, लुटे, वक्त से पिटे, पिटे
साँस की शराब का खुमार देखते रहे
कारवाँ गुजर गया, गुबार देखते रहे
हाथ थे मिले कि जुल्फ चाँद की संवार दूँ
होठ थे मिले कि हर बहार को पुकार दूँ
दर्द था दिया गया कि हर दुखी को प्यार दूँ
और साँस ताकि स्वर्ग भूमि पर उतार दूँ
हो सका न कुछ मगर, शाम बन गयी सहर
वह उठी लहर कि ढह गए किले बिखर बिखर
और हम डरे डरे, नीर नयन में भरे
ओढ कर कफ़न पड़े, मजार देखते रहे
कारवाँ गुजर गया, गुबार देखते रहे
माँग भर चली कि एक, इक नई नई किरण
ढोलकें धुमुक उठीं, ठुमुक उठे चरण चरण
गाँव सब उमड़ पड़ा, बहक उठे नयन नयन
शोर मच गया कि लो चली दुल्हन, चली दुल्हन
पर तभी जहर भरी, गाज एक वह गिरी
पुँछ गया सिंदूर तार तार हुई चूनरी
और हम अजान से, दूर के मकान से
पालकी लिये हुए कहार देखते रहे
कारवाँ गुजर गया, गुबार देखते रहे
- Neeraj
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Door se door talak ek bhee darakht na tha
Door se door talak ek bhee darakht na thaa
tumhaare ghar kaa safar is qadar to saKht na thaa
[daraKht = tree; saKht = difficult/hard]
itney masroof they ham jaaney kii taiyaaree mein
khadey them tum aur tumhein dekhney kaa vaqt ka thaa
[masroof = busy]
main jis kee khoj mein Khud kho gayaa tha meley mein
kaheen vo meraa hee ehasaas to kambakht na thaa
[Khoj = search,kambakht = unfortunate]
jo zulm sah ke bhii chup rah gayaa na Khaul uThaa
vo aur kuchh ho magar aadamii kaa rakt na thaa
[Zulm = atrocity, Khaul = boil; raqt = blood]
unhii.n faqiiro.n ne itihaas banaayaa hai yahaa.N
jin pe itihaas ko likhane ke liye vaqt na thaa
[itihaas = history]
sharaab kar ke piyaa us ne zahar jiivan bhar
hamaare shahar me.n 'Neeraj'-saa ko_ii mast na thaa
- Gopaldas Neeraj
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