मैंने शांति नहीं जानी है !
त्रुटि कुछ है मेरे अन्दर भी ,
त्रुटि कुछ है मेरे बाहर भी ,
दोनों को त्रुटि हीन बनाने की मैंने मन में ठानी है !
मैंने शांति नहीं मानी है !
आयु बिता दी यत्नों में लग ,
उसी जगह मैं , उसी जगह जग ,
कभी - कभी सोचा करता अब , क्या मैंने की नादानी है !
मैंने शांति नहीं जानी है !
पर निराश होऊं किस कारण ,
क्या पर्याप्त नहीं आशवासन ?
दुनिया से मानी , अपने से मैंने हार नहीं मानी है !
मैंने शांति नहीं जानी है
- Harivansh Rai Bachchan